जानिये एसपीजी की पूरी कहानी और खासियत

दोस्तों, आपने अकसर देखा होगा कि भारत के प्रधानमंत्री की सुरक्षा में एसपीजी के कमांडो और ब्लैक कैट कमांडो हर पर तैनात रहते हैं। जो पलक झपकते ही दुश्मन के सीने को गोलियों से छलनी कर देते हैं। अगर कोई भी प्रधानमंत्री के पास आने की कोशिश भी करता है तो ये कमांडो उन्हें घेर लेते हैं और उस व्यक्ति को मोदी के पास आने नहीं देते। लेकिन क्या आपने सोचा है दोस्तों कि इस ग्रुप की सुरक्षा में ऐसा क्या खास है जो देश के प्रधानमंत्री की सुरक्षा में एसपीजी कमांडो को लगाया जाता है। चलिए आज हम आपको इसी के बारे में डीटेल में समझाएंगे। हमारे आर्टिकल को लास्ट तक जरूर पढ़िएगा।

विशेष सुरक्षा दल या स्पेशल प्रोटेक्शन ग्रुप की गिनती देश की सबसे आधुनिक और पेशेवर सुरक्षा बलों में की जाती है। अगर बात करें इसके मुख्यालय की तो यह देश की राजधानी दिल्ली में ही स्थित है। प्रधानमंत्री निवास में ही इसका मुख्यालय होता है। यह सुरक्षा दल देश के प्रधानमंत्री के साथ भारत में कुछ दिनों का दौरा करने वाले वाले वीवीआईपी की सुरक्षा का जिम्मा संभालता है। यह सुरक्षा दल हर पल गांधी परिवार की सुरक्षा में भी तैनात रहते हैं। कहीं से भी इन्हें कोई भी खतरा नजर आता है तो ये उसे तुरंत वहीं पर ढेर कर देते हैं।

आपको बता दें कि विशेष सुरक्षा दल की स्थापना हुई थी 02 जूनए 1988 को। भारतीय संसद के एक विशेष अधिनियम के अंतरगत इस दल को बनाया गया था। आप में से बहुत से लोग सोचते होंगे कि उनकी हाइट अच्छी है और बाॅडी बिल्डिंग में उनके जैसा मास्टर कोई नहीं है तो वो भी आसानी से एसपीजी कमांडो बन सकते हैं। ये कोई हलवा नहीं है जनाब। एसपीजी कमांडो बनने के लिए आपको खुद को मेहनत की भट्टी में तपाना होगा। तब जाकर आप इस दल में शामिल होकर देश की रक्षा कर सकते हैं। इस पोस्ट के लिए जो ट्रेनिंग करवाई जाती है, वो एक आर्मी मैन की ट्रेनिंग से भी 10 गुना कठिन होती है। स्पेशल प्रोटेक्शन ग्रुप की सुरक्षा जिन लोगों को दी जा रही है

उनमें भारत के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेयी की बेटी नमिता भट्टाचार्य भी शामिल हैं। इसके अलावा पूर्व प्रधानमंत्र मनमोहन सिंह तथा उनकी पत्नी गुरुशरण कौर को भी यह सुरक्षा प्रदान की जा रही है। जो जवान इस दल में शामिल होते हैं उनके चयन प्रकिया का जिम्मा पैरामिलिट्री फोर्स जैसे बीएसएफ, सीआईएसएफ, आईटीबीपी, सीआरपीएफ के जवान तथा पुलिस का होता है।

क्या होते हैं हथियार

चलिए अब आपको यह भी जानकारी दे देते हैं दोस्तों कि ये जवान किसी की सुरक्षा करते समय किन हथियारों से लैस होते हैं। इस दल में देश के लिए अपनी सेवाएं देने वाले जवान के पास ऑटोमेटिक गन थ्छथ्.2000 असॉल्ट राइफल होती है। इन कमांडो के पास ग्लोक 17 नामक एक पिस्टल भी होती है जो पल भर में ही दुश्मन का चूरमा बना देती है। एसपीजी के कमांडो एक हल्के वनज वाली बुलेटप्रूफ जैकेट पहनते हैंण् ये जवान ऊंचे दर्जे की बुलेटप्रूफ वेस्ट हमेशा पहन कर रखते हैं ताकि किसी भी खतरे के समय अगर गोली चल जाए तो वो इससे बच सकें। इसकी खासियत यह है दोस्तों, कि यह लेवल.3 केवलर की ही तरह होती है। वजन इसका होता है 2.2 किग्रा। यह 10 मीटर की दूरी से तेज गति से आती हुई एके 47 राइफल से निकली हुई 7.62 कैलिबर की गोली को भी झेलने की ताकत रखती है।

एसपीजी कमांडो किसी भी संदिग्ध गतिविधि पर नजर रख सकते हैं। उनके पास एक ऐसा चश्मा होता है जिसकी मदद से वो किसी पर भी नजर रख सकते हैं। इस चश्मे को इस तरह से डिजाइन किया जाता है कि ये कमांडो किसी भी हमले के वक्त बड़ी आसानी से हर तरफ नजर दौड़ा सकते हैं और दुश्मन को इसकी भनक तक नहीं लगती कि कोई कमांडो उसे देख रहा है। आपने अकसर यह देखा होगा कि एसपीजी के जवान हर समय एल्बो गार्ड पहन कर रखते हैं। यह उनकी कोहनी को पूरी सुरक्षा प्रदान करता है। इसके अतिरिक्त जो जूते इन सुरक्षा कर्मियों को पहनाए जाते हैं वो बेहद खास होते हैं। ये जूते जमनी पर नहीं फिसलते हैं।

ये कमांडो अपने हाथ में विशेष प्रकार के दस्ताने भी पहन कर रखते हैं ताकि इनके हाथ से हथियार फिसलने न पाए और इन्हें कोई चोट न पहुंचे। अगर मान लीजिए इन्हें बिना हथियार के ही दुश्मन के आगे खड़ा होना पड़े तो भी ये इतना जिगरा रखते हैं कि दुश्मन को मार कर ही दम लेंगे। ऐसा इसलिए दोस्तों, क्योंकि इन जवानों को जो ट्रेनिंग दी जाती है उसके अंतर्गत इन्हे मार्शल आर्ट की बारीकियां सिखाई जाती हैं। ये जवान हर मौसम में, हर परिस्थिति में दुश्मन से भिड़ जाते हैं और प्रधानमंत्री को आंच भी नहीं आने देते। जब प्रधानमंत्री किसी कार्यक्रम में शामिल होने जाते हैं तो पीएम के काफिले के समय चप्पे चप्पे पर इन कमांडो की नजर बनी रहती है। ये हर तरह के खतरे को भांप लेते हैं और तुरंत ही उसे मिटा देते हैं।

पीएम जब भी किसी यात्रा पर निकलते हैं तो ये जवान उस जगह पर आ सकने वाली हर मुसीबत का अंदाजा पहले ही लगा लेते हैं और वहां पहुंचकर जगह की पूरी जानकरी ले लेते हैं तथा सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम भी करते हैं। जब इन्हें अपने किसी साथी कमांडो से बात करनी होती है तो ये जवान कान में लगे हुए ईयर प्लग या फिर वाॅकी-टाॅकी का प्रयोग करते हैं। आमतौर पर एसपीजी की सुरक्षा भारत के पूर्व प्रधानमंत्री और उनके परिवार की सुरक्षा पांच वर्ष तक ही करती है। इसके बाद इस बात की समीक्षा की जाती है कि अब आगे इन्हें सुरक्षा की जरूरत है या फिर नहीं। आपको बता दें, हाल ही में पूर्व पीएम मनमोहन सिंह और उनकी परिवार की एसपीजी सुरक्षा हटा दी गई है। अब उन्हें जेड प्लस सुरक्षा दी गई है।

कैसे काम करती है एसपीजी

एसपीजी के जवान को जो ट्रेनिंग पास करनी होती है वो है वर्ल्ड क्लास ट्रेनिंग। इस ट्रेनिंग की तुलना युनाइटेड स्टेट सीक्रेट सर्विस एजेंट्स से की जा सकती है। इस सुरक्षा दल में तैनात जवानों का काम होता है कि किसी भी तरह के हमले की सूरत में प्रधानमंत्री को सुरक्षा देना। यह सेकंड कार्डन का ही जिम्मा होता है कि वह हमले के वक्त प्रधानमंत्री के चारों एक कड़ा सुरक्षा घेरा या यूं कहें चक्रव्यूह बना दे ताकि कोई भी दुश्मन उनतक पहुंचने से पहले ही मार गिराया जाए। वह अन्य एसपीजी के जवानों को भी हमले के वक्त सुरक्षा कवर देता है।

दोस्तों, एसपीजी के कमांडो के साथ ही पीएम जब किसी स्थान के लिए चलते हैं तो उनके काफिले में करीब एक दर्जन गाड़ियां उनको सुरक्षा प्रदान करती हैं। इसमें बीएमडब्ल्यू 7 सीरीज़् वाली सिडान, एक मर्सिडीज़् बेंज और 6 बीएमडब्ल्यू एक्स 3 गाड़ियां भी शामिल होती हैं। इसके अतिरिक्त मर्सिडीज बेंज ऐंम्बुलेंसए टाटा सफारी और साथ ही जैमर भी इस काफिले में पीएम की सुरक्षा के मद्देनजर शामिल किए जाते हैं।

ये है इतिहास

दरअसल, प्रधानमंत्री की सुरक्षा का जिम्मा शुरू से एसपीजी के पास नहीं था। जब एसपीजी का गठन नहीं हुआ था तो 1981 से पहले प्रधानमंत्री के आवास पर उनकी सुरक्षा करने की पूरी जिम्मेदारी पुलिस उपायुक्त की रहती थी। 1981 मेंए देश के प्रधानमंत्री को राजधानी दिल्ली और इसके बाहर सुरक्षा देने की जिम्मेदारी इंटेलिजेंस ब्यूरो ने अपने उठा ली थी। आई बी ने इसके लिए एक स्पेशल टास्क फोर्स का गठन किया। जब अक्टूबर 1984 में प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को उनके ही सुरक्षा कर्मियों ने गोलियों से भून दिया था।

उसके बाद तय किया गया कि प्रधानमंत्री की सुरक्षा का जिम्मा एक विशेष समूह को दिया जाना चाहिए। फिर शुरू हुई एसपीजी के गठन की प्रक्रिया। हुआ यूं कि 18 फरवरी 1985 को गृह मंत्रालय के द्वारा बीरबल नाथ समिति की स्थापना की गई। ये वही समिति है जिसने वर्ष 1985 के मार्च महीने में एक स्पेशल प्रोटेक्शन यूनिट के गठन की सिफारिश की थी। इसी कारण भारत के राष्ट्रपति ने 30 मार्च 1985ए को कैबिनेट सचिवालय के तहत इस यूनिट 819 कमांडो की भर्ति की मंजूरी दे दी। इसे ही बाद में स्पेशल प्रोटेक्शन ग्रुप का नाम दिया गया।

दोस्तों, आपने अगर नोटिस किया हो तो प्रधानमंत्री के साथ चलने वाले कमांडो के पास एक काले रंग का ब्रीफ केस हर समय होता है। जब भी प्रधानमंत्री किसी यात्रा पर जाते हैं तो ये गार्ड अपने साथ इस ब्रीफकेस को लेकर पीएम के आगे-आगे चलते हैं। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि आखिर उस ब्रीफकेस में ऐसा क्या खास होता है।

दरअसल इसको हमेशा पीएम से कुछ ही फीट की दूरी पर ये सुरक्षाकर्मी रखते हैं। इस ब्रीफकेस के अंदर प्रधानमंत्री की सुरक्षा के लिए विशेष पिस्टल रखी होती है। इसे ये कमांडो कोई खतरा होने पर तुरंत बाहर निकाल सकते हैं। भले ही ये ब्रीफकेस छोटा सा दिखता हो, लेकिन इसमें गजब की ताकत होती है। इस ब्रीफकेस पर किसी भी गोली का कोई असर नहीं होता। यह ब्रीफकेस पलक झपकते ही इतना बड़ा हो जाता है कि यह पीएम को पूरी तरह से ढंक लेता है। असल में इस में एक न्यूक्लियर बटन होता है। अगर सुरक्षाकर्मी को कोई खतरा नजर आता है या खतरे की आशंका होती है तो ये ब्रीफकेस तैयार किया जाता है। सुरक्षा कर्मी को इसे नीचे की तरफ खोलना होता है। यह पीएम की ढाल के रूप में काम करता है। प्रधानमंत्री की सुरक्षा में तैनात इन कमांडो की सैलरी एक लाख रुपए के करीब होती है।

आज हमने आपको इस आर्टिकल में एसपीजी के बारे में पूरी जानकारी दी। हम आपके लिए ऐसे ही और नई जानकारियां लाते रहते हैं। हमारे साथ बने रहिए और हमारे आर्टिकल अगर पसंद आया हो तो आप उसे जरूर शेयर और लाइक करिएगा।

धन्यवाद।

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