जानिए कौन है सेल्फी का गॉड फादर

हैल्लो दोस्तों, कैसे हैं आप सब। आज हम आपके लिए लेकर आ गए हैं एक और अमेजिंग स्टोरी। हमारे इस आर्टिकल को लास्ट तक जरूर पढ़ें। आपने कई बार देखा होगा कि कोई अच्छी जगह मिली नहीं कि हर उम्र के लोग शुरू हो जाते हैं सेल्फी लेना। व्हाट्सएप की दुनिया का यह एक ऐसा ट्रेंड है दिसके लाखों लोग दीवाने हैं। उनमें भी ज्यादातर तो लड़िकियां ही होती हैं जिन्हें हर अमेजिंग मूमेट को सेल्फी लेकर यादगार बनाने का क्रेज रहता है। आज कोई भी फंक्शन हो चाहे वो बर्थ डे पार्टी हो, शादी समारोह हो या फिर शादी की सालगिरह हो, किसी भी फंक्शन में सेल्फी के लिए एक प्वाइंट जरूर बना रहता है। यहां पर लोग अपनी सेल्फी के लिए इतने खुश हो जाते हैं कि मानो उन्हें सोने जैसी महंगी और मूल्यवान चीज मिल गया हो। क्या आप जानते हैं कि सेल्फी की शुरूआत कैसे और कहां से हुई थी। जैसा कि आपको पता है, हर चीज का अपना एक इतिहास होता है। दोस्तों, इसका भी एक अलग ही इतिहास है जिसके बारे में जानकर आप हमें कमेंट करके जरूर बताइएगा कि क्या इससे पहले आपको ये फैक्ट पता था? तो चलिए शुरू करते हैं हमारी एजुकेशन एक्सप्रेस को और जानते हैं सेल्फी के बारे में सब कुछ

  • सेल्फी का इतिहास
  • सेल्फी का अर्थ
  • सेल्फी शब्द का सेबसे पहले इस्तेमाल
  • सेल्फी का बवाल
  • सेल्फी से होने वाली मौतें

सेल्फी का इतिहास: आईए ‘सेल्फी’ के इतिहास के पन्नों को पलटते हैं और जानते हैं कि कब और कैसे इसकी शुरूआत हुई। दरअसल, सेल्फी की शुरूआत के पीछे कई सारी बातें लोगों से सुनने को मिली हैं। अमेरिका के राॅबर्ट काॅर्नेलियस को फादर ऑफ़ द सेल्फी कह दिया जाए तो गलत नहीं होगा, क्योंकि कई लोगों का मानना है कि उन्होंने ही सबसे पहले वर्ष 1839 में अपनी सेल्फी खींची थी। उन्होंने अपने खुद के ही कैमरे से अपनी फोटो क्लिक करने की कोशिश की थी। हालांकि कुछ लोगो का यह भी मानना है कि इस दुनिया की सबसे पहली सेल्फी ली थी फोटोग्राफर ऑस्कर गुस्तेव रेजलेंडर ने 1850 में खींची थी। यह स्वीडिश आर्ट फोटोग्राफर थे। मशहूर टाइम पत्रिका ने दुनिया के 10 मूल शब्दों की सूची में भी सेल्फी को स्थान दिया था जो उसने वर्ष 2012 के अंत में बनाई थी। आपको यह जानकर हैरानी होगी दोस्तों, कि आज पूरी दुनिया में अपने नाम का डंका बजाने वाले शब्द ‘सेल्फी’ को वर्ष 2013 में ऑक्सफ़ोर्ड की इंगलिश डिक्शनरी ने ‘वर्ड ऑफ़ द ईयर’ का खिताब दिया था। ये तो हुई पुराने समय की बात। क्या आप बता सकते हैं कि आधुनिक भारत में सेल्फी लेने का क्रेज कब शुरू हुआ था? चलिए हम बताते हैं। इसकी शुरूआत हुई थी वर्ष 2011 से। ये शुरूआत किसी इंसान ने नहीं की थी। इसका ट्रेंड तो दरअसल चलाया था एक बंदर ने। जी हां। सही सुना आपने। साल 2011 में ‘मकाउ प्रजाति’ के एक बंदर ने एक कैमरे से बटन दबाकर इंडोनेशिया में अपनी ‘सेल्फी’ लेकर इस ट्रेंड को शुरू किया था। वो कैमरा था ब्रिटिश वाइल्ड लाइफ फोटोग्राफर स्लाटर का। अब उस बंदर का नाम भी आपको बता देते हैं जिसे हम सैल्फी महाराज कह सकते हैं। उसका नाम था ‘नरूटो’।

सेल्फी का अर्थ: दोस्तों सेल्फी शब्द अंग्रेजी के सेल्फ से लिया गया है। जैसा कि इसके नाम से ही मालूम चल रहा है। इसका मतलब है खुद की फोटो खुद ही खींचना

सेल्फी शब्द का सेबसे पहले इस्तेमाल: सितम्बर 13, 2002 को ऑस्ट्रलिआ की एक वेबसाइट ने पहली बार यूज किया था। जिसका नाम था ‘फोरम एबीसी ऑनलाइन’।

सेल्फी का बवाल: दोस्तों, जिस फोटोग्राफर डेविड स्लाटर के कैमरे से बंदर ने गलती ये सेल्फी खींची थी, उन्होंने इस बंदर की सेल्फी को अपनी कंपनी ‘वल्र्ड लाइफ पर्सनेलटीज़’ के कलेक्शन में छपवा दी थी। साथ ही अपने नाम से इसके काॅपीराइट का दावा भी पेश कर दिया था। लेकिन वो कहते हैं न कि समय खराब हो तो उंट पर बैठे हुए आदमी को भी कुत्ता काट जाता है। ऐसा ही कुछ इस फोटोग्राफर के साथ हुआ। इनके सेल्फी पब्लिश करवाते ही बवाल मच गया। जानवरों की सुरक्षा और उनके अधिकारों के लिए काम करने वाली वर्षों पुरानी कंपनी पीपुल फाॅर दी एथिकल ट्रीटमेंट ऑफ़ एनिमल्स (पेटा) ने फोटोग्राफर के इस दावे को गलत ठहरा दिया। इतना ही नहीं, पेटा ने कोर्ट में इसके खिलाफ केस भी फाइल कर दिया। वास्तव में, पेटा उस बंदर को सेल्फी का मालिकाना हक या यूं कहें कि काॅपीराइट दिलाना चाहती थी। पेटा का तर्क यह था कि ‘नरूटो’ कोई वस्तु नहीं है बल्कि एक हस्ति है। उसे इस सेल्फी का काॅपीराइट मिलना चाहिए ना कि उस फोटोग्राफर को। देखते ही देखते इसपर बहुत बड़ा विवाद खड़ा हो गया। वर्ष 2016 के अंत में इस मामले पर सैन फ्रैनसिस्को के फेडरल कोर्ट में फैसला सुनाया और बंदर को काॅपीराइट देने से साफ इनकार कर दिया। पेटा ने इसके बाद उच्च न्यायालय में इस फैसले को चुनौती दी थी। आपको बता दें कि न्यायालय में पुनः जाने से पहले ही दोनों पक्षों ने मामला बाहर ही सुलझा लिया था। दोनों पक्षों में यह समझौता हुआ था कि सेल्फी से जो भी, जितनी भी कमाई उन्हें होगी, उसका करीब 25 प्रतिशत हिस्सा वो इंडोनेशिया के इस प्रजाती के बंदरों की मदद और उनके संरक्षण के लिए दान में दे देंगे।

सेल्फी से होने वाली मौतें: दोस्तों, सेल्फी का जो आजकल ट्रेंड चल पड़ा है उसके कई सारे साइडइफेक्टस भी हैं। सेल्फी के कारण विभिन्न देशों और राज्यों से हादसे की खबरें सामने आती रहती हैं। चलिए आपको बताते हैं कि सेल्फी के कारण भारत देश में कहां कितने हादसे हुए हैं। एक आंकड़े के अनुसार वर्ष 2014 से 2016 के बीच पूरी दुनिया में अलग अलग घटनाओं के कारण करीब 127 लोगों ने अपनी जान गंवाई है। इनमे से भी भारत में होने वाली मौतों का आंकड़ा 76 है।

आगरा में हादसा: एक जापानी नागरिक ताजमहल की सीढ़ियों पर बड़े आराम से सेल्फी ले रहा था तभी अचानक वो गिर पड़ा और उसकी मौत हो गई।

नागपुर में हादसा: इसी प्रकार नागपुर की मंगरूल झील में सेल्फी लेते वक्त 10 छात्र डूबने लगे थे। इनमें से रेस्क्यू टीम ने बड़ी मुश्किल से तीन छात्रों को सुरक्षित बाहर निकाल लिया था जबकि बाकी सात पानी में डूब गए थे।

हिमाचल में हादसा: ऐसे ही एक बार एक छात्र हिमाचल के पर्यटन केंद्र पर नुकीली चट्टानों पर चढ़कर सेल्फी ले रहा था। उसी दौरान वो 60 फुट नीचे गहरी खाई में गिर गया और उसकी मौत हो गइ थी।

महाराष्ट्र में हादसा: यहां भी सेल्फी के भूत ने तांडव मचाया। हुआ यूं कि तेज गति से आती हुई ट्रेन के साथ वो सेल्फी लेना चाहता था। तभी ट्रेन से कटकर उसकी मौत हो गई।

राजस्थान में हादसा: राजस्थान के राजकोट में सुंदर नगर से छात्रों का एक दल पिकनिक मनाने आया था। तभी अचानक सेल्फी लेने के चक्कर में झील में गिरने से उनमें से एक छात्र की मौत हो गई थी।

अकसर देखा गया है कि सेल्फी लेने के चक्कर में ज्यादातर युवाओं ने अपनी जान गंवा दी है। सेल्फी लेना कोई अपराध नहीं है। परंतु आपको अपनी और अपनों की सुरक्षा का भी सैल्फी लेते वक्त ध्यान रखना चाहिए। ऐसी जगहों पर सेल्फी खिंचवाने से बचना चाहिए जिससे आपकी जान पर बन आए।

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