हैलो फ्रेंड्स। कैसे हैं आप सब। आज हम आपको लेकर चल रहे हैं एक खूबसूरत जगह की सैर पर। इस जगह का नाम है कन्याकुमारी। इस जगह को भारत का दक्षिणतम छोर भी कहा जाता है। यह तमिलनाडू में स्थित एक बहुत ही सुंदर स्थान है। यह भारत की सबसे खूबसूरत जगहों में से एक है।
चलिए सबसे पहले आपको इस जगह के नाम करण के बारे में बताते हैं कि इसका नाम कन्याकुमारी क्यों और किसके नाम पर पड़ा था। दरअसल, इससे जुड़ी एक पौराणिक कथा है। शिवपुराण के अनुसार, बानासुरन नाम का एक असुर हुआ करता था। उसने पूरी सृष्टि में तबाही मचा रखी थी। इतना ही नहीं, उस असुर ने देवताओं को भी बहुत ज्यादा पीड़ित किया हुआ था। सभी देवी-देवता इस दानव के अत्याचार से जल्द से जल्द मुक्ति पाना चाहते थे। मान्यता है कि भगवान शिव ने उस असुर को कड़ी तपस्या के बाद यह वरदान दे दिया था कि अगर तुम्हें कोई मार सकेगा तो वो होगी कुंवारी कन्या। इसके अलावा कोई उसे नहीं मार सकता। कुंवारी कन्या के हाथों न मारे जाने पर वो अमर हो जाएगा।
पुराणों के अनुसार उस समय भारत पर शासन करने वाले राजा भरत के घर एक नन्हीं सी परी ने जन्म लिया था। राजा भरत के आठ पुत्र थे तथा एक पुत्री थी। लोगों का मानना है कि यह पुत्री कोई और नहीं बल्कि खुद आदि शक्ति का ही एक अंश थी। राजा भरत की इस पुत्री का नाम कुमारी रखा गया था। आगे चलकर राजा ने अपनी पूर्ण सम्पत्ति को 9 संतानों में विभाजित कर दिया था। दक्षिणी छोर का हिस्सा मिला उनकी पुत्री कुमारी को। कुमारी ने भी अपने पिता की ही तरह पूरी लगन से इस क्षेत्र और यहां के लोगों की रक्षा की। साथ ही इस क्षेत्र की उन्नती के लिए भी हर तरह के प्रयास कुमारी ने किए थे।
ऐसा माना जाता है कि इसी कुमारी कन्या को देवों के देव महादेव यानी भगवान शिव से बेहद प्रेम हो गया था। उन्होंने महादेव को अपने पति के रूप में पाने के लिए घोर तप किया। आप तो जानते ही हैं दोस्तों, भगवान भोलेनाथ कितने भोले हैं। वो सब पर बहुत जल्दी प्रसन्न हो जाते हैं और मन चाहा वर दे देते हैं। ऐसा ही कुछ कुमारी के साथ भी हुआ। शिव भगवान ने उनका विवाह का प्रस्ताव स्वीकार भी कर लिया था। इतना ही नहीं, उनके घर पर बारात लाने तक का आश्वासन दे दिया था शिव जी ने। कुमारी विवाह की तैयारियों में लग गई। वो खुशी से फूली नहीं समा रही थीं। उन्होंने अपनी शादी के लिए श्रृंगार भी किया था।
तो वहीं दूसरी ओर नारद मुनी यह जान गए थे कि कुमारी कोई साधारण कन्या नहीं है। यही हैं जो बाणासुर का वध कर सकती हैं। नारद मुनी ने यह रहस्य सभी देवताओं और भगवान भोलेनाथ को बताने में जरा भी देर नहीं की। इसका नतीजा यह हुआ कि शिव भगवान की बारात को रास्ते से ही वापस कैलाश भेजने का निर्णय ले लिया गया। कुमारी से विवाह करने के लिए शिव भगवान आधी रात में ही तमिलनाडू के लिए रवाना हो गए। जिससे वो सुबह तक विवाह के मुहरत पर वहां पहुंच जाएं। मगर देवताओं ने आधी रात में ही मुर्गे की आवाज लगा दी। जिससे शिव जी को यह लगे कि सुबह हो गई है और मुहरत का समय निकल गया है। हुआ भी ऐसा ही। मुहरत के लिए देरी होने का एहसास जब उन्हें हुआ तो शिव जी कैलाश वापस लौट गए। इस प्रकार महादेव और कुमारी का विवाह नहीं हो पाया।
दूसरी ओर जब बानासुरन को कुमारी के सौंदर्य के बारे में पता चला तो उसने कुमारी के समक्ष शादी का प्रस्ताव रख दिया। कुमारी ने एक शर्त रखी कि विवाह करने के लिए उसे कुमारी को युद्ध में हराना होाग। दोनों के बीच भीषण युद्ध हुआ और बानासुरन की इस युद्ध में मौत हो गई। इस तरह कुमारी ने बानासुरन को मार गिराया। देवताओं को बानासुरन के अत्याचार से मुक्ति मिली और कुमारी अपने वर के इंतजार में आजीवन कुंवारी ही रह गईं। कहते हैं कि इसके बाद उन्होंने महादेव से विवाह की इच्छा को भी त्याग दिया था। इसी कथा के आधार पर भारत के इस दक्षिणी छोर का नाम कन्य कुमारी पड़ा।
चलिए अब आपको बताते हैं कि आप यहां पर कौन कौन सी जगह घूम सकते हैं। हम आपको 10 ऐसी जगहों के बारे में बताएंगे जो आज टूरिस्ट स्पाॅट बन गए हैं।

व्यू टावर: दोस्तों, अगर आपको सूर्योदय और सूर्यास्त का खूबसूरत नजारा देखना है तो आप इस प्लेस को बिलकुल भी मिस मत करना। इस जगह की एक और खासियत है दोस्तों। यहां से आप अरब सागर, हिन्द महासागर तथा बंगाल की खाड़ी के शानदार नजारों को अपनी आंखों की कोठरी में हमेशा के लिए कैद कर सकते हैं।
अब आप सोच रहे होंगे कि इसकी एक्जैक्ट लोकेशन क्या है। तो दोस्तों, यह जगह विवेकानंद राॅक मेमोरियल और तिरुवल्वर स्टेच्यू के पास में स्थित है।

मायापुरी वंडर वैक्स: दोस्तों, अगर आप कन्याकुमारी आए और इस जगह पर विजिट नहीं किया तो आपने बहुत कुछ मिस कर दिया। यह बेहद शानदार जगह कन्याकुमारी रेल्वे स्टेशन के पास स्थित है। यहां पर आपको कई बड़े राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय हस्तियों के स्टैच्यू देखे जा सकते हैं। बच्चों के लिए तो यह जगह बहुत खास है। यहां पर मनोरंजन और एजुकेशन दोनों के डोज मिल जाते हैं। इस स्थान पर अगर आप जाना चाहते हैं तो इसके खुलने का समय है सुबह 8 बजे से रात 8 बजे तक यानी 12 घंटे यह जगह पर्यटकों के लिए खुली रहती है। रविवार के दिन यह स्थान बंद रहता है।

तीरपरप्पू फाॅल्स: अगर आप प्रकृति प्रेमी हैं दोस्तों, तो यह जगह आपके लिए बहुत ही खास है। इसे कन्याकुमारी का सबसे लोकप्रीय पिकनिक स्पाॅट भी माना जाता है।
इस झरने का निर्माण कुड़िया नदी पर हुआ है। यह झरना तकरीबन 50 फिट की ऊंचाई से गिरता है।

अवर लेडी ऑफ रैनसम चर्च: दोस्तों, यह जगह कन्याकुमारी की सबसे पवित्र जगह हैं। खास तौर पर वो लोग जो क्रिश्चन हैं वे यहां पर जरूर आते हैं।
आपको बता दें, यह चर्च अपनी बेमिसाल बौद्धिक वास्तु कला के लिए काफी प्रसिद्ध भी है। चर्च के अंदर एक गोल्डन वेली मौजूद है। इसमें मां मरियम की शानदार प्रतिमा को देखा जा सकता है। यहां पर लकड़ी के ऊपर की गई बारीक नक्काशी तथा रंगीन ग्लास से बनी सुंदर खिड़कियां देखने लायक हैं।

गांधी मंडपम: यह एक गांधी मेमोरियल है जो राष्ट्रपिता महात्मा गांधी को समर्पित है। इस मेमोरियल की हाइट 79 फीट रखी गई है। इससे महात्मा गांधी की जीवन आयु का पता चलता है। इसकी खास बात यह है कि इसे ऐसी तकनीक के साथ बनाया गया है कि ठीक 2 अक्टूबर यानी गांधी के जन्मदिवस के मौके पर सूर्य की किरण ठीक उसी जगह पर पड़ती है जहां पर गांधी की अस्थियों को विसर्जित करने से पहले रखा गया था। यह जगह अपने पुस्तकालय के लिए भी बहुत अधिक प्रसिद्ध है। यहां पर आपको स्वतंत्रता के समय की बहुत सी किताबें और पत्रिकाएं देखने को मिल जाएंगी।

वट्टाकुटई फोर्ट: यह शानदार किला कन्याकुमारी शहर के उत्तरी छोर पर स्थित एक टूरिस्ट प्लेस है। जो भी यहां घूमने आता है वो इस स्थान पर जाने से खुद को नहीं रोक पाता। इस किले का निर्माण 18वीं शताब्दी में हुआ था। यह किला समुद्र के किनारे मौजूद है और पत्त्थरों से बना हुआ है। साथ ही यह चारों ओर से 25 फीट ऊंची दीवारों से घिरा हुआ है। किले के ऊपर एक परेड ग्राउंड भी है। यहां से एक तरफ बंगाल की खाड़ी तो दूसरी तरफ अरब सागर को भी देखा जा सकता है।

कुमारी अम्मन मंदिर: दोस्तों, इस मंदिर को कन्याकुमारी के सबसे लोकप्रीय पर्यटन स्थलों में से एक है। यह मंदिर भारत में मौजूद 108 पवित्र शक्ति पीठों में भी शामिल है। यही वो मंदिर है जो हिन्दु देवी मां कन्याकुमारी को समर्पित है। इन्हीं को मां पावर्ति का एक अवतार भी माना जाता है।

पद्मनाभपुरम पैलेस: इस पैलेस की दूरी कन्याकुमारी से करीब तीस किलोमीटर की है। यह पद्मनापुरम गांव में स्थित है। कन्याकुमारी आने वाले वर्यटकों के बीच यह काफी ज़्यादा लोकप्रीय है। इस महल का निर्माण 17वीं शताब्दी में हुआ था। यह करीब 6 एकड़ के क्षेत्र में फैला हुआ है। इसे दुनिया के 10 सबसे बेहतरीन महलों में भी शामिल किया गया है। यहां का मुख्य आकर्षण है यहां पर रखी 300 साल पुरानी घड़ी।

तिरुवल्लुवर स्टेच्यू: यह स्टेच्यू संत तिरुवल्लुवर को समर्पित है जो कि एक प्रसिद्ध कवि भी थे। आज यह स्टेच्यू कन्याकुमारी की पहचान बन चुका है।
हर वर्ष लाखों पर्यटक इसे देखने के लिए आते हैं। यह पत्त्थर से बनी एक विशाल प्रतिमा है जिसकी ऊंचाई 133 फीट है।
यह दर्शनीय स्थल विवेकानंद राॅक मेमोरियल के पास स्थित है।

विवेकानंद राॅक मेमोरियल: दोस्तों, अब लास्ट बट नाॅट द लीस्ट। विवेकानंद राॅक मेमोरियल कन्याकुमारी का एक प्रसिद्ध टूरिस्ट स्पाॅट है। यह रामकृष्ण मिशन के संस्थापक स्वामी विवेकानंद को समर्पित है। करीब 6 एकड़ में इसका क्षेत्र विस्तार हुआ है। कहते हैं कि जब विवेकानंद कन्याकुमारी आए थे तो उन्होंने इसी पत्त्थर पर रात बिताई थी। यहां पर विवेकानंद की कांच से बनी 8 फीट ऊंची प्रतिमा को भी देखा जा सकता है।
तो दोस्तों, आज हमने आपको यात्रा कराई कन्याकुमारी के दर्शनीय स्थलों की। साथ ही आपको इस जगह के नामकरण की जानकारी भी दी। उम्मीद है आपको हमारी जानकारी पसंद आई होगी। हमारे आर्टिकल को लास्ट तक पढ़ने के लिए धन्यवाद।